Monday, September 10, 2012

बंधन

Wishing is all that we can do, when fate turns the table on us.....Hoping for a miracle to happen..we all feel that what was binding us earlier was better than now being free from it, don't we??....

बंधन 

इस अँधेरे से निकलना
रौशनी के संग है चलना
फिर भी तमस के घनेरे
घेरों में घिरी मै ...

साथ तेरा ढूँढती हूँ
हाथ तेरा ढूँढती हूँ
यूँ न मुझको छोड़ जाना
मुझसे न मुँह मोड़ जाना

तुम गए तो सारे उजाले
साथ तेरे चल दिए
रिश्ता मेरी आँखों से यूँ
पल में वो बदल लिए

क्यों नहीं चित्कारती मै
क्यों नहीं उजाडती मै
क्यों आज़ाद करके मुझको
दे गए बंधन नए

बस , मुझे अब और तुम
मत कोई बलिदान दो
ले लो मुझसे जीवन मेरा
मेरी सांसें , मेरे प्राण लो

या फिर से उन्ही पुराने बन्धनों में बांध लो।।




No comments:

Post a Comment