Saturday, July 16, 2016

हिम्मतवारी



The 'Determined' are here to stay, they go on and on as they just eye their aim. Just tried to #speakout for the determined women. They are no more timid or dependent, they can change the world! Tortures n pain don't bother them anymore...

जिंदगी मार मार क खड़ी करे
जो टूट गई थी सारी सी
बन गयी कड़ी कुछ हो न हो
अब नही रही दुखियारी सी

कितना तोड़े , मै ना टूटी
हल्ला गुल्ला सरफोडी सी
कितने जीत ले युद्ध मोंडे
जिंदगी न जीतें इक मोंडी सी

सौ काट काट के कर टुकड़े
कैसे कटे ये हिम्मत सँकरी सी
चित पड़ जावेगा भूतल ते
इक वार करूँ जो हँसरी सी

ना मै ,ना टूटा कोई सपना मेरा
ना रहूँ कभी बिचारी सी
भौचक्का सा तू भी सोचेगा
है कौन ये हिम्मतवारी सी 


Sunday, July 10, 2016

उलझन

This is one of my favorite poems and its priceless too.Why? because its written by my father. So now you know the genealogy of the poetic talent I received! Read on and sooth your poetic heart as I do..

उलझन 

पड़े हुएं हैं इस उलझन में
टूटे पंख पसारूँ कैसे !

                        बाँध धैर्य का टूट चुका है
                        कब तक धीर धराओगे
                        प्रेम राग का बीन बजाकर
                       कब तक मुझे सुनाओगे

उमड़ रहे हैं आँसू मेरे
तुमको हाय ! निहारूँ कैसे
पड़े हुएं हैं इस उलझन में
टूटे पंख पसारूँ कैसे !

                        तरस न खाओ मेरे ऊपर
                        सहानुभूति न दिखलाओ
                        झूटी हँसी ,भुलावा देकर
                        दिल न मेरा बहलाओ

सूख चुके हैं आँसू मेरे
उनको हाय निकारूँ कैसे
पड़े हुएं हैं इस उलझन में
टूटे पंख पसारूँ कैसे !

-उत्सुक