Tuesday, September 4, 2012

दुश्मन

Humans can survive everything with faith, love and a True friend, however what if you receive the worst from the least expected.....Heartbroken ever.
Below is an outpour of one such moment of my lifetime....You'll feel the heat..

तम चाहे जितना हो गहरा .....रौशनी से दीप्त लेकिन
दमकती है छवि तुम्हारी, ख्यालों में मेरे आज भी .......

दुश्मन 

ये मेरा ग़म है
ये मेरे हैं घाव
तुम अपने निष्पाप हाथों से
इनको मत सहलाओ,

तुम चाहती हो, ये आज भरें
और कल फिर, तुम्हारी ही
किसी निःस्वार्थ भावना से
फिर हो उठे हरे ,

ग़लतफहमी मेरी ही थी,
खुद को फूलों के बीच पाया
तो भूल गई
इनमे होते है काँटे भी

मत छुओ मत छेड़ो इनको
ये सिर्फ घाव नहीं
हैं  वो निशानियाँ दोस्ती की
देता नही कोई दोस्त जिनको 

आंधियों से भी न जो डरी
हाँ , अडिग खड़ी रही
एक फूंक में बुझा दी तुने
वो शमा मेरे विश्वास की

तुम ले गई साथ अपने , मेरी प्रेरणा, मेरी दोस्ती
अब भी लेकिन तुमसे रिश्ता है ....दुश्मनी
 


No comments:

Post a Comment