Tuesday, August 21, 2012

This poem was written about 7-8 yrs ago, I  was studying....and so you  will feel the surge of determination as I felt while writing it. Its like an inspiration to,whenever I am down an out....what do you  think shouldn't I get  this added to  School books....joking..ami asking too much???

"निश्चय "

मार्ग  विषम है ,
मगर विकट सी, इच्छा भी है
जाने  की
ऊँचे पर्वत, गहरी नदिया
चाँद और  सूरज
पाने की ;

बहुत दिलासे देता है मन
यूँ  भी  तो है सुखमय जीवन
फिर भी ये हिम्मत है कहती
धुन पक्की है दीवाने की;

रुकना मत
तेर्री ज़रुरत
जीवन के पार है जाने की
जीवन से जीवन पाने की;

चलना  नहीं छोड़ सकती मै,
मेरा  मन ये कहता हर पल
जिस क्षण थक के गिर जाउंगी,
जीवन हो   जायेगा मरुस्थल;

बहुत दूर, धुंधली काया सी
मेरी  मंजिल दिखती है
उसको भी तो आस लगी  है
मेरे उसको पाने की.
मुझको गले लगाने की !!!


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