Monday, August 6, 2012

This is one of my old poems, I love this one...

साथी

अनजाने मन को मेरे, ये बढ़ा दिया है किसने हाथ
हौले से कर दिया ये वादा, सुख दुःख में हम देंगे साथ

आज अचानक किसने ये , अँधेरे में ज्योति जलाई
अब तो निश्चलता में भी,  चंचलता पड़ती दिखाई

मेरे सूनेपन की अमावस्या में, किसने आ दिवाली मनाई
डाला है किसने इस मन में, जीवन का ये नया आभास

आँखों की मृदुल भाषा से, किसने बोले ये संवाद
दुखी मन तू भी चख ले, जीवन का ये मीठा स्वाद


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