This poem was written about 7-8 yrs ago, I was studying....and so you will feel the surge of determination as I felt while writing it. Its like an inspiration to,whenever I am down an out....what do you think shouldn't I get this added to School books....joking..ami asking too much???
"निश्चय "
मार्ग विषम है ,
मगर विकट सी, इच्छा भी है
जाने की
ऊँचे पर्वत, गहरी नदिया
चाँद और सूरज
पाने की ;
बहुत दिलासे देता है मन
यूँ भी तो है सुखमय जीवन
फिर भी ये हिम्मत है कहती
धुन पक्की है दीवाने की;
रुकना मत
तेर्री ज़रुरत
जीवन के पार है जाने की
जीवन से जीवन पाने की;
चलना नहीं छोड़ सकती मै,
मेरा मन ये कहता हर पल
जिस क्षण थक के गिर जाउंगी,
जीवन हो जायेगा मरुस्थल;
बहुत दूर, धुंधली काया सी
मेरी मंजिल दिखती है
उसको भी तो आस लगी है
मेरे उसको पाने की.
मुझको गले लगाने की !!!
"निश्चय "
मार्ग विषम है ,
मगर विकट सी, इच्छा भी है
जाने की
ऊँचे पर्वत, गहरी नदिया
चाँद और सूरज
पाने की ;
बहुत दिलासे देता है मन
यूँ भी तो है सुखमय जीवन
फिर भी ये हिम्मत है कहती
धुन पक्की है दीवाने की;
रुकना मत
तेर्री ज़रुरत
जीवन के पार है जाने की
जीवन से जीवन पाने की;
चलना नहीं छोड़ सकती मै,
मेरा मन ये कहता हर पल
जिस क्षण थक के गिर जाउंगी,
जीवन हो जायेगा मरुस्थल;
बहुत दूर, धुंधली काया सी
मेरी मंजिल दिखती है
उसको भी तो आस लगी है
मेरे उसको पाने की.
मुझको गले लगाने की !!!
Beautiful....it's indeed an inspirational one..
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