जिंदगी मार मार क खड़ी करे
जो टूट गई थी सारी सी
बन गयी कड़ी कुछ हो न हो
अब नही रही दुखियारी सी
कितना तोड़े , मै ना टूटी
हल्ला गुल्ला सरफोडी सी
कितने जीत ले युद्ध मोंडे
जिंदगी न जीतें इक मोंडी सी
सौ काट काट के कर टुकड़े
कैसे कटे ये हिम्मत सँकरी सी
चित पड़ जावेगा भूतल ते
इक वार करूँ जो हँसरी सी
ना मै ,ना टूटा कोई सपना मेरा
ना रहूँ कभी बिचारी सी
भौचक्का सा तू भी सोचेगा
है कौन ये हिम्मतवारी सी
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